New Income Tax Rules 2025: आपके ITR की हो सकती है जांच, अगर TDS क्लेम में मिली ये कमी…

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New Income Tax Rules 2025: नए नियमों के तहत FY 2025-26 के लिए ITR स्क्रूटनी अब और सख्त हो गई है. TDS क्लेम में गलती और हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शंस समेत कई कारण अब ITR जांच की वजह बन सकते हैं.

New Income Tax Rules 2025: वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने का काम तेज़ी से चल रहा है। अब तक 60 लाख से ज्यादा ITR दाखिल किए जा चुके हैं, जिनमें से करीब 1 लाख रिटर्न प्रोसेस हो चुके हैं। इस बार टैक्स विभाग ने ITR स्क्रूटनी को लेकर कुछ नए नियम लागू किए हैं। टैक्स अधिकारियों को खास तौर पर टैक्स चोरी करने वालों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए अब विभाग डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है, ताकि संदिग्ध रिटर्न को तुरंत पकड़ा जा सके।

अब टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स की आय का विश्लेषण केवल उनके रिटर्न तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि उनके बैंक खातों, खर्च की आदतों, निवेश और घोषित इनकम को आपस में जोड़कर गहराई से जांच कर रहा है। खासतौर पर उन लोगों पर नजर रखी जा रही है जिनके बैंक खातों में नकद लेन-देन कम है, लेकिन उनकी लाइफस्टाइल—जैसे रियल एस्टेट में निवेश, विदेश यात्राएं या महंगे ब्रांड्स पर खर्च—काफी ज्यादा है। ऐसे मामलों में विभाग को इनकम और खर्च के बीच बड़ा फर्क नजर आता है, जिसे टैक्स चोरी की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है।

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डेटा एनालिटिक्स और AI से तैयार हो रहा स्क्रूटनी फ्रेमवर्क

रिपोर्ट्स के अनुसार, इनकम टैक्स विभाग अब उन लोगों को नोटिस भेज रहा है जिनके बैंक खातों में भले ही लेन-देन कम दिख रहा हो, लेकिन वे असल में हाई-प्रोफाइल खर्च कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे मामलों को अब प्राथमिकता से जांचा जा रहा है, जहां इनकम टैक्स रिटर्न में कम आय दिखाई गई है लेकिन जीवनशैली और खर्च इसके बिल्कुल उलट हैं। इनकम और खर्च के इस मिसमैच को टैक्स विभाग अब गंभीरता से ले रहा है और ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई हो रही है।

विदेश यात्राओं, सोने की खरीद, म्यूचुअल फंड में निवेश या प्रॉपर्टी डील जैसी सभी जानकारियों के आधार पर अब इनकम टैक्स विभाग स्क्रूटनी कर रहा है। पहले माना जाता था कि सिर्फ बड़ी कंपनियां या कारोबारी ही टैक्स चोरी करते हैं, लेकिन अब टैक्स विभाग का नजरिया बदल चुका है। अब उन आम लोगों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है जो रिटर्न में कम इनकम दिखाते हैं, लेकिन असल जिंदगी में महंगी और हाई स्टैंडर्ड लाइफस्टाइल जीते हैं। ऐसे मामलों को अब गंभीरता से लिया जा रहा है और जांच तेज़ कर दी गई है।

अब सरकार रियल टाइम डेटा एनालिसिस की मदद से यह बारीकी से जांच रही है कि कौन व्यक्ति कितना खर्च कर रहा है और उसने अपने ITR में क्या जानकारी दी है। खास तौर पर ऐसे लेन-देन जिन्हें हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन माना जाता है—जैसे साल भर में क्रेडिट कार्ड से ₹10 लाख से ज्यादा खर्च, ₹30 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी डील या ₹2 लाख से ज्यादा की नकद जमा—अब सीधे टैक्स विभाग की नजर में हैं। ऐसे मामलों में अगर खर्च और घोषित आय के बीच अंतर पाया जाता है, तो जांच और नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।

ITR स्क्रूटनी के नए नियम

इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ITR स्क्रूटनी को लेकर कुछ नए नियम लागू किए हैं, जिनके तहत कुछ मामलों में जांच अनिवार्य होगी। सबसे पहले CS01 के तहत अगर किसी टैक्सपेयर्स के यहां सेक्शन 133A के अंतर्गत टैक्स सर्वे हुआ है, तो उसका रिटर्न स्क्रूटनी में जाएगा। वहीं CS02 और CS03 के तहत अगर 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 के बीच किसी के यहां इनकम टैक्स की रेड या दस्तावेजों की जब्ती हुई है, तो उनकी ITR विशेष निगरानी में रखी जाएगी। इसके अलावा CS05 के तहत अगर किसी टैक्सपेयर्स ने पहले किसी साल में ₹50 लाख (मेट्रो) या ₹20 लाख (नॉन-मेट्रो) की इनकम छुपाई है, तो अगली बार उसका रिटर्न सीधे जांच में जाएगा। वहीं CS06 के अंतर्गत अगर किसी टैक्सपेयर्स के खिलाफ CBI, ED या किसी अन्य सरकारी एजेंसी से इनपुट मिला है, तो उसकी ITR की भी स्क्रूटनी होगी।

कौन सी गलतियां ITR को स्क्रूटनी में डाल सकती हैं?

  • एफडी या सेविंग अकाउंट के ब्याज की जानकारी न देना
  • गलत TDS क्लेम करना
  • ऐसे टैक्स छूट क्लेम करना, जिसके लिए आपके पास वैलिड डॉक्युमेंट नहीं हैं
  • पत्नी या बच्चों के नाम पर किए गए निवेश की जानकारी न देना

आयकर अधिनियम की धारा 64 के तहत, अगर आपने अपने पैसे से परिवार के सदस्य के नाम पर निवेश किया है, तो टैक्स की जिम्मेदारी आपकी ही होगी.

टैक्सपेयर्स के पूरे आर्थिक व्यवहार पर नजर

अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट सिर्फ छोटी-मोटी गलतियों पर ध्यान नहीं दे रहा, बल्कि टैक्सपेयर्स के पूरे वित्तीय व्यवहार पर नजर रख रहा है। आपकी कमाई कितनी है और खर्च कितना कर रहे हैं—अगर इन दोनों के बीच कोई बड़ा अंतर दिखाई देता है, तो आपको स्क्रूटनी का नोटिस मिल सकता है। यानी अब केवल रिटर्न भर देना ही काफी नहीं, बल्कि आपकी पूरी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन हिस्ट्री पारदर्शी और तार्किक होनी चाहिए।

ITR फाइलिंग के लिए जरूरी टिप्स

  • Form 26AS, AIS और बैंक स्टेटमेंट्स को अच्छी तरह मिलाएं
  • छोटी से छोटी इनकम को भी ईमानदारी से डिक्लेयर करें
  • अगर आप व्यापार करते हैं, तो नकद लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड रखें
  • अगर आपके महंगे शौक हैं, तो उनकी इनकम का स्रोत भी बताएं

अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पूरी तरह डेटा एनालिटिक्स और आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुसज्जित हो चुका है। अगर आपने ITR में जो इनकम डिक्लेयर की है, वह आपके असल खर्चों से मेल नहीं खा रही, तो विभाग को इसकी जानकारी तुरंत मिल जाती है और ऐसे में स्क्रूटनी का नोटिस कभी भी आ सकता है। यह वक्त है कि टैक्स ईमानदारी और पारदर्शिता से भरा जाए, क्योंकि अगर इनकम और खर्चों में गड़बड़ी पाई गई तो नोटिस आना लगभग तय है।

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