
“मेरी शादी कब होगी” जैसे सवालों ने खड़ा किया करोड़ो का फेथटेक मार्केट, पर कानूनी पकड़ क्यों नहीं?
अगर आपने कभी सोशल मीडिया पर ऐसे विज्ञापन देखे हैं जो यह दावा करते हैं कि आपकी शादी कब होगी, मनचाही नौकरी मिलेगी या नहीं, या क्या आप अपने प्यार के साथ जीवन बिता पाएंगे — और आपने कभी “फ्री कंसल्टेशन” वाले व्हाट्सऐप लिंक पर क्लिक किया है, तो आप अकेले नहीं हैं. ये छोटे मैसेज पर्सनल सवालों को छूते हैं और आसान समाधान का वादा कर लाखों लोगों को अपनी ओर खींचते हैं.
जनवरी 2025 में वान्या मिश्रा ने Astrosure.ai नाम से एक डिजिटल ज्योतिष प्लेटफॉर्म लॉन्च किया, जिसे Agastyaa नाम के AI-आधारित स्पिरिचुअल असिस्टेंट से संचालित किया गया है. केवल 5 महीनों में इस प्लेटफॉर्म पर 3 लाख से ज्यादा मंथली एक्टिव यूजर्स हो चुके हैं, जिनमें से करीब 20% यूजर्स पेड सर्विसेज का इस्तेमाल भी कर रहे हैं.
वान्या मिश्रा कहती हैं, “आज के लोग सिर्फ भविष्य जानना नहीं चाहते, उन्हें स्पष्टता, आत्मचिंतन और भावनात्मक सहारा भी चाहिए — वो भी तुरंत, अपनी भाषा और सुविधा के अनुसार. हम देख रहे हैं कि जब लोग भावनात्मक या मानसिक उलझनों में होते हैं, तब वे हमारी ओर रुख करते हैं. एआई ने यह सब कुछ तुरंत उपलब्ध कराना आसान बना दिया है, जो पहले अपॉइंटमेंट लेने या कई दिनों तक जवाब का इंतजार करने के बाद ही संभव होता था.”
Astrosure उन नई टेक कंपनियों में से एक है जो भारत में तेजी से बढ़ती उस मांग का फायदा उठा रही हैं, जहां लोग व्यक्तिगत और तुरंत मिलने वाली आध्यात्मिक सेवाएं चाहते हैं.
MarkNtel Advisors के मुताबिक, भारत में ज्योतिष ऐप का बाजार फिलहाल करीब 163 मिलियन डॉलर (लगभग 1,360 करोड़ रुपये) का है, और 2030 तक इसके 1.79 बिलियन डॉलर (करीब 14,900 करोड़ रुपये) तक पहुंचने की संभावना है. यानी हर साल इसमें लगभग 49% की तेज़ ग्रोथ हो सकती है.
इसके मुकाबले, पूरी दुनिया का ज्योतिष बाजार सालाना सिर्फ 5.7% की दर से बढ़ रहा है.
भारत में ज्योतिष अब सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि 58 अरब डॉलर की “फेथ इकोनॉमी” यानी आस्था आधारित अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है. अनुमान है कि यह सेक्टर 2034 तक 152 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.
फोन पर ज्योतिषियों से आसानी से बात कर पाने की सुविधा ने इस सेक्टर को एक नया नाम दिया है: FaithTech — यानी टेक्नोलॉजी के ज़रिए आस्था से जुड़ने की दुनिया.
डिजिटल जमाने की आस्था
आजकल शहरों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स और युवा वर्ग के स्मार्टफोन में स्पिरिचुअल ऐप्स आम होते जा रहे हैं। Astrotalk, Astroyogi, Anytime Astro और Astrosure जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हर महीने लाखों लोग वॉयस कॉल, चैट या AI की मदद से ज्योतिषीय सलाह ले रहे हैं।
Astroyogi की फाउंडर मीना कपूर कहती हैं, “इस तेज़ी का सबसे बड़ा कारण है डिजिटल प्लेटफॉर्म की आसानी और लोगों की भावनात्मक ज़रूरतें. आज का यूज़र तुरंत जवाब चाहता है और वह ऐसे प्लेटफॉर्म चुनता है जो उसकी भाषा में उसे सही तरीके से समझा सके।”
उन्होंने बताया कि उनके प्लेटफॉर्म पर 85% से ज्यादा यूज़र Gen Z और मिलेनियल्स हैं. ये युवा भले ही तनाव में हों, लेकिन बहुत जिज्ञासु भी होते हैं. उनके लिए ज्योतिष एक जरिया है जिससे वे अनिश्चित माहौल में कुछ स्थिरता महसूस कर पाते हैं.
वो मदद मांगने से कतराते नहीं हैं — जब वो अनुभव प्राइवेट हो और सिर्फ एक क्लिक दूर हो.
Astroyogi प्लेटफॉर्म पर हर साल कस्टमर कंसल्टेशन में 60% की बढ़त दर्ज की गई है, और अब तक इसके 10 मिलियन यानी एक करोड़ से ज्यादा पेड यूज़र बन चुके हैं.
इनमें सबसे ज़्यादा कंसल्टेशन रिलेशनशिप और शादी से जुड़े होते हैं—करीब 40% सवाल इसी कैटेगरी में आते हैं. इसके बाद लोग करियर और फाइनेंस से जुड़े मुद्दों पर सलाह लेते हैं.
Gen Z और मिलेनियल्स, यानी 18 से 35 साल की उम्र के युवा, इस प्लेटफॉर्म के 85% यूज़र हैं.
वहीं Anytime Astro हर महीने 2 लाख से ज़्यादा पेड यूज़र्स को सेवाएं दे रहा है. इसके को-फाउंडर अभिनव गुप्ता का कहना है कि लोकल भाषा में सुविधा मिलने से यूज़र्स की भागीदारी काफी बढ़ गई है.
उन्होंने कहा, “लाइव चैट और वॉयस कॉल सबसे ज़्यादा पसंद की जा रही हैं, लेकिन असली फर्क भाषा की सुविधा से आता है. हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगु जैसी भाषाओं में बात करने से लोग खुलकर सवाल पूछते हैं और आसानी से जुड़ पाते हैं.”
Anytime Astro के को-फाउंडर का कहना है कि जब यूज़र अपनी पसंद की भाषा में बात कर पाते हैं और सलाह मिलती है, तो वे भावनात्मक रूप से ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं. यही अपनापन यूज़र के बीच भरोसा बनाता है. उन्होंने बताया कि लव, रिलेशनशिप, शादी और तलाक जैसे विषयों पर सबसे ज्यादा कंसल्टेशन होते हैं, और इन्हीं टॉपिक्स से सबसे ज्यादा यूज़र जुड़ते हैं और लंबे समय तक जुड़े रहते हैं.
पहले के ज्योतिष ऐप्स सिर्फ एक बार की सलाह तक सीमित रहते थे, लेकिन अब नए प्लेटफॉर्म्स सब्सक्रिप्शन मॉडल, AI तकनीक और कई सर्विसेस के कॉम्बिनेशन के ज़रिए यूज़र्स को लंबे समय तक जोड़े रखने में कामयाब हो रहे हैं.
Astrosure जैसे प्लेटफॉर्म अब इस दिशा में काम कर रहे हैं कि ज्योतिष केवल एक बार की सलाह तक सीमित न रहे, बल्कि लोगों की डेली रूटीन का हिस्सा बन जाए. इसके लिए यूज़र्स को पर्सनल गाइडेंस, मंत्र और छोटे-छोटे धार्मिक उपाय रोज़ाना WhatsApp या ऐप के ज़रिए भेजे जा रहे हैं.
प्लेटफॉर्म की को-फाउंडर वन्या मिश्रा ने कहा, “पहले लोग ज्योतिष की सलाह सिर्फ शादी या करियर जैसे बड़े मौकों पर लेते थे. अब ये आदत बन गई है. कुछ लोग तो हर हफ्ते या रोज़ाना पूछते हैं — जैसे कोई डायरी लिख रहे हों. अब ये एक बार की चीज़ नहीं रही, बल्कि उनकी आत्मिक सफाई (spiritual hygiene) का हिस्सा बन चुकी है.”
इस बीच, प्रोडक्ट कॉमर्स (यानि पूजा-सामग्री बेचने वाला बिज़नेस) भी ज्योतिष ऐप्स की कमाई का बड़ा जरिया बन गया है.
Astroyogi पर अब स्पिरिचुअल रेमिडीज (धार्मिक उपाय) और सजाकर तैयार किए गए पूजा किट्स सबसे तेजी से बिकने वाली चीज़ों में शामिल हैं — खासकर तब, जब ये लाइव कंसल्टेशन के साथ मिलती हैं.
कपूर के अनुसार, “आज की स्पिरिचुअलिटी (आध्यात्मिकता) सिर्फ भविष्य बताने तक सीमित नहीं है, लोग अब ऐसे उपाय चाहते हैं, जिन्हें वे तुरंत अपना सकें और जिनका असर दिखे.”
भारत की सबसे बड़ी ज्योतिष टेक कंपनी Astrotalk अब एक मजबूत बिज़नेस मॉडल के रूप में उभर चुकी है. वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने ₹659 करोड़ की कमाई की, जो पिछले साल से दोगुनी है, और मुनाफा भी करीब 10 गुना बढ़कर ₹94-100 करोड़ पहुंच गया. 80% बाजार हिस्सेदारी के साथ कंपनी अब IPO लाने और 2026 तक सालाना ₹1000 करोड़ की कमाई का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके प्लेटफॉर्म पर ज्योतिष परामर्श की फीस ₹5 से ₹200 प्रति मिनट है, जबकि विदेशों में रहने वाले भारतीय (NRI) लोग एक सेशन के लिए \$40 से \$360 तक खर्च कर रहे हैं. अब तक Astrotalk को \$30.3 मिलियन की फंडिंग मिल चुकी है, जिसमें से \$20 मिलियन की सीरीज A फंडिंग 2024 में मिली. यह दर्शाता है कि अब ज्योतिष केवल आस्था नहीं, बल्कि एक तेजी से बढ़ता बिज़नेस बन चुका है.
भारत की ज्योतिष तकनीक बन रही है ग्लोबल कल्चर का हिस्सा
भारत की ज्योतिष-टेक कंपनियों को अब सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोग पसंद कर रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और मिडल ईस्ट में रहने वाले भारतीय मूल के लोग (डायस्पोरा) इन प्लेटफॉर्म्स की कमाई में अब 25% तक योगदान दे रहे हैं. ये लोग न सिर्फ ज्योतिष सेवाओं के लिए पैसे देने को तैयार हैं, बल्कि इसके ज़रिए अपनी जड़ों से जुड़ाव भी महसूस करते हैं.
अब अगली पीढ़ी की तकनीक आ रही है — जैसे वर्चुअल रियलिटी से ज्योतिष अनुभव, स्मार्ट वॉच जैसी डिवाइसेज़ में चलने वाली रोज़ाना की स्पिरिचुअल कोचिंग. कई कंपनियां अब ज्योतिष के आधार पर HR टूल्स, निवेश का सही समय बताने वाली सलाह और AI से चलने वाली कुंडली मिलान जैसी सेवाएं भी तैयार कर रही हैं. यानी भारत की परंपरागत ज्योतिष विद्या अब ग्लोबल लेवल पर एक नया और आधुनिक रूप ले रही है.
भारत के बाहर बसे भारतीयों के अलावा अब भारतीय ज्योतिष प्लेटफॉर्म्स पश्चिमी देशों के बड़े मार्केट को भी तेजी से अपनाते जा रहे हैं. साल 2024 में वेस्टर्न (पश्चिमी) ज्योतिष का बाजार करीब \$14.7 बिलियन डॉलर का था और यह 2030 तक \$20.68 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है — सिर्फ नॉर्थ अमेरिका में ही इसकी सालाना ग्रोथ करीब 5% है.
अमेरिका में 30 साल से कम उम्र के 50% से ज्यादा लोग ज्योतिष कंटेंट देखते हैं और मिलेनियल्स व जेन Z मिलकर 83% ज्योतिष से जुड़े सोशल मीडिया एंगेजमेंट का हिस्सा हैं. ऐसे में भारतीय प्लेटफॉर्म्स जो AI पर आधारित, पर्सनलाइज्ड ज्योतिष सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें ग्लोबल यूज़र्स से ज़बरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है.
Astrosure.ai की को-फाउंडर वान्या मिश्रा कहती हैं, “भारत के पास ऐसा कुछ एक्सपोर्ट करने का मौका है जो सांस्कृतिक रूप से गहरा है, लेकिन पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक भी. हम सिर्फ ज्योतिष नहीं बेच रहे — हम बेच रहे हैं भावनात्मक स्पष्टता, आत्मिक शांति और एक अस्थिर दुनिया में ढांचे की समझ.”
तेज़ी से बढ़ते इस बिज़नेस में छुपे है कई सवाल
बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील सिद्धार्थ चंद्रशेखर कहते हैं, “ज्योतिष एक ऐसा व्यवसाय है जो संस्कृति की आड़ में चलता है, इसलिए इसे धर्म के नाम पर कानूनी निगरानी से बचा लिया जाता है. लेकिन जैसे ही कोई ज्योतिषी अपनी सेवा का विज्ञापन करता है, फीस लेता है और रिजल्ट का वादा करता है – वह धर्म की नहीं, एक कमर्शियल सर्विस की कैटेगरी में आ जाता है, जिस पर कानून लागू होना चाहिए.”
यानी ज्योतिष से जुड़े कारोबार को भी नियमों और निगरानी के दायरे में लाना जरूरी है, क्योंकि यह अब सिर्फ आस्था नहीं, कमाई का ज़रिया भी बन चुका है.
कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत अगर कोई ज्योतिषी पैसे लेकर सेवा दे रहा है, तो उसे एक “सर्विस प्रोवाइडर” माना जा सकता है. लेकिन कानूनी रूप से उन्हें जिम्मेदार ठहराना मुश्किल है, क्योंकि भविष्यवाणियों की बातें बहुत ही अनुमानित और अमूर्त (abstract) होती हैं. मसलन, अगर कोई व्यक्ति यह कहे कि उसे नौकरी या शादी का वादा करके धोखा दिया गया, तो कोर्ट में ये साबित करना मुश्किल हो जाता है कि ज्योतिषी ने जानबूझकर धोखा देने की नीयत से ऐसा कहा था.
वकील सिद्धार्थ चंद्रशेखर कहते हैं, “असल दुख ये नहीं है कि लोग ज्योतिष पर विश्वास करते हैं, बल्कि ये है कि ये पूरा उद्योग एक कानूनी शून्य (legal vacuum) में चल रहा है, जहां इसे सांस्कृतिक मान्यता की आड़ में कोई रोक-टोक नहीं है.”
वे यह भी बताते हैं कि भले ही भारत की एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल (ASCI) ने बिना प्रमाण वाले चमत्कारी दावों पर रोक लगाने के लिए गाइडलाइंस बनाई हैं, लेकिन ये नियम सिर्फ सलाह जैसे हैं और इनके पास कोई कानूनी ताकत नहीं है. इसी तरह, Drugs and Magic Remedies Act जैसे कानून जो किस्मत, संतान, या सफलता के वादों वाले विज्ञापनों को रोकते हैं, वे शायद ही कभी लागू होते हैं.
चंद्रशेखर कहते हैं, “इस पूरे क्षेत्र में कोई लाइसेंसिंग सिस्टम नहीं है, कोई जरूरी चेतावनी (disclaimer) नहीं दी जाती, न ही कोई पारदर्शी खुलासा नियम है. जबकि ये एक बड़ा बिजनेस बन चुका है, इसके बावजूद टैक्स, शिकायतों की सुनवाई या विज्ञापनों पर कोई स्पष्ट नियंत्रण नहीं है.”
KS लीगल एंड एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी ने भी इसी तरह की चिंता जताई. उन्होंने कहा, “ज्योतिष के क्षेत्र में नियमों की कमी एक तरह से कानूनी उलझन है, जिससे ग्राहकों के साथ धोखा होने का खतरा बना रहता है.”
हालांकि उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर बहुत सख्त कानून बना दिए गए, तो इससे नुकसान भी हो सकता है. उन्होंने कहा, “ज्योतिष एक अनोखा क्षेत्र है जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन और व्यवसाय के बीच की कड़ी है. अगर बहुत सख्ती से कानून बनाए गए, तो सच्चे और ईमानदार ज्योतिषाचार्य भी मुश्किल में आ सकते हैं, जबकि असली समस्या – यानी ग्राहक की समझदारी की कमी – वैसी की वैसी ही रह जाएगी.”
इसलिए वे सुझाव देती हैं कि एक संतुलित रास्ता अपनाना चाहिए: “ज्योतिष की अनिश्चित (अनुमान पर आधारित) प्रकृति को साफ शब्दों में बताने वाले डिस्क्लेमर (चेतावनी) अनिवार्य किए जाएं और धोखाधड़ी से जुड़े कानूनों को और मजबूत किया जाए, ताकि लोगों का शोषण रोका जा सके, बिना उनकी आस्था में दखल दिए.”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए Astroyogi नामक प्लेटफॉर्म के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम जिम्मेदारी से, भरोसेमंद और नैतिक ज्योतिष सेवाएं देने को बहुत गंभीरता से लेते हैं. हमारे यहां किसी भी तरह की ग़लत सलाह या घटिया सेवा के लिए जीरो टॉलरेंस है. इसी वजह से हमारे प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ता बिना डर के अनुभवी, ईमानदार और जवाबदेह ज्योतिषियों से सलाह ले सकते हैं.”
जब तक इस तरह के बिज़नेस के लिए कोई ठोस नियम-कायदे नहीं बनते, तब तक इनसे जुड़े सवालों का कोई एक सही जवाब नहीं हो सकता. ये कारोबार डर और अंधविश्वास के सहारे चलता है, और बिना वैज्ञानिक तरीकों के लोगों को गुमराह करने का पूरा मौका देता है.