महाकुंभ 2025 के शुभ अवसर पर देशभर से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक जैसे पवित्र स्थलों पर लाखों भक्त अमृत स्नान के लिए पहुंचे हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, महाकुंभ का अमृत स्नान मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है और जीवन के सारे पापों को नष्ट करता है। क्या आप जानते हैं कि अमृत स्नान के लिए विशेष मुहूर्त और समय निर्धारित होता है? इस लेख में हम आपको अमृत स्नान का महत्व, इसके समय और इससे जुड़ी हर जानकारी देंगे।
अमृत स्नान सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का अवसर है। पवित्र नदियों में स्नान करने का यह समय दुर्लभ होता है, क्योंकि यह ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति पर आधारित है। इस बार महाकुंभ में अमृत स्नान के लिए शुभ समय सुबह 4:00 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:00 बजे तक है। इसे मिस करना मतलब जीवन का अनमोल क्षण खो देना!
महाकुंभ 2025 की हर छोटी-बड़ी जानकारी और अमृत स्नान के अद्भुत महत्व को समझने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। इस लेख को शेयर करें और जानिए कैसे यह स्नान आपके जीवन को बदल सकता है।
महाकुंभ का यह अद्भुत पर्व हर 12 साल में एक बार आता है और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस साल, लाखों श्रद्धालु कुंभ नगरी में आकर दिव्य अनुभूति का अनुभव कर रहे हैं। अगर आप भी इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी होगी।
अमृत स्नान का सीधा संबंध आध्यात्मिक शुद्धि और पापों के प्रायश्चित से है। यह स्नान पवित्र नदियों में किया जाता है, जहां ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जल में दिव्य अमृत का प्रवाह होता है। कुंभ के दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण इस जल में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति मिलती है।
इस बार महाकुंभ के अमृत स्नान का शुभ समय सुबह 4:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। इन घंटों के दौरान नदियों में स्नान करना अत्यंत फलदायक माना गया है। अगर आप इस पुण्य कर्म में शामिल होना चाहते हैं, तो समय का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इस समय ग्रहों की स्थिति सबसे शुभ होती है।
महाकुंभ में उमड़ रही भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए हैं। हर प्रमुख घाट पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मुफ्त बस सेवा, हेल्थ चेकअप कैंप, और लाइव दिशानिर्देश भी दिए जा रहे हैं।
महाकुंभ का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और इसका उल्लेख वेद-पुराणों में भी मिलता है। देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से यह परंपरा जुड़ी हुई है। इस पर्व पर चार स्थानों पर कुंभ आयोजित होता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक।
अगर आप महाकुंभ 2025 में शामिल होने की योजना बना रहे हैं, तो यात्रा के पहले ही अपनी बुकिंग और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर लें। भीड़भाड़ से बचने और सुविधाजनक अनुभव के लिए एडवांस तैयारी करें।
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